
Chidiya Review
Chidiya Review: मासूम सपनों और भाईचारे की दिल छूने वाली कहानी
Chidiya कहानी: जब सपनों को पंख देने की कोशिश हो मेहनत से
Chidiya की कहानी है शानू (स्वर कांबले) और बुआ/भुवन (आयुष पाठक) की, जो मुंबई की एक तंग सी चाल में अपनी मां वैष्णवी (अमृता सुभाष) के साथ रहते हैं। पिता के निधन के बाद मां पर घर की पूरी जिम्मेदारी आ जाती है, और बच्चे स्कूल छोड़कर साड़ियों की डिलीवरी का काम करने लगते हैं।
लेकिन उनका सपना अब भी ज़िंदा है — बैडमिंटन खेलना।
Chidiya कहानी में आशा, मासूमियत और ज़िंदगी की सच्चाई
लेखक-निर्देशक मेहरान अमरोही ने इस फिल्म को भारी-भरकम मेलोड्रामा से बचाकर सच्ची भावनाओं और हल्केपन से सजाया है।
बच्चे चाल के कम्पाउंड में बैडमिंटन कोर्ट बनाने की कोशिश करते हैं। किसी का रद्दी कपड़ा, किसी का पुराना बल्ब, तो किसी की सहानुभूति — सब मिलकर उन्हें आगे बढ़ाते हैं।
यह फिल्म दिखाती है कि कैसे छोटे सपने भी समुदाय, भाईचारे और उम्मीद से पूरे किए जा सकते हैं।
Chidiya प्रदर्शन: हर किरदार दिल जीत लेता है
- स्वर कांबले और आयुष पाठक असली भाई लगते हैं — मासूम, जिद्दी और प्यारे।
- अमृता सुभाष एक मां के किरदार में जान डाल देती हैं। एक सीन में बच्चों को 15 दिन के शूट पर भेजते हुए उनका दर्द बेहद असली लगता है।
- विनय पाठक एक सपोर्टिव मामाजी के रूप में शानदार हैं।
- इनामुलहक और बृजेंद्र काला जैसे कलाकार छोटे रोल में भी याद रह जाते हैं।
निर्देशन और भावना: कम बोलकर भी बहुत कुछ कह जाती है
Chidiya फिल्म बिना किसी बड़े ड्रामा के आपको हंसी, आंसू और उम्मीद दे जाती है। ये उन फिल्मों में से है जिन्हें परिवार के साथ बैठकर देखा जाना चाहिए।
Chidiya निष्कर्ष: सपने छोटे हों या बड़े, उड़ान ज़रूरी है
Chidiya एक खूबसूरत, शांत लेकिन गहराई से भरी फिल्म है जो याद दिलाती है कि अगर आपके साथ लोग खड़े हों — तो कोई भी सपना नामुमकिन नहीं होता।
अंतिम पंक्ति (अपना स्टाइल):
यह VR Panghal का निजी रिव्यू है। हर दर्शक का नजरिया अलग हो सकता है। कृपया हमें इस पर हेट न दें। धन्यवाद। इस फिल्म का ट्रेलर Zee Music Company चैनल पर उपलब्ध है।